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ग्लोबल हंगर इंडेक्स की ताज़ा रैंकिंग जारी हो गयी है, 127 देशो की इस सूचि में भारत 105वें स्थान पर है। भारत लगातार भूख और कुपोशण से जूझ रहा है। इस सूचि में भारत को "गंभीर भुखमरी की समस्या" वाले केटेगरी में रखा गया है। इंडिया क रैंकिंग में पिछले साल के मुकाबले सुधर हुआ है, इस सूचि में इंडिया पिछले साल 107 वे स्थान पे था। भारत में भूखमरी और कुपोषण की समस्या लगातार बढ़ रही है, इस सूचि में इंडिया के पडोसी देश नेपाल, चीन, श्रीलंका और बांग्लादेश और म्यांमार इस सूचि में इंडिया से ऊपर हैं। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान इस सूचि में इंडिया से पीछे है। 

क्या है इसके मायने? 

भारत के सामने अभी भी बच्चों में कुपोषण जैसी गंभीर चुनौतियाँ है, इस सूचि के हिसाब से विश्व स्तर पर बच्चों में दुबलापन (18.7%) सबसे अधिक है। देश में बच्चों के बौनेपन की दर 35.5%, पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 2.9% और कुपोषण का प्रसार 13.7% है। इन आंकड़ों को देखने से लगता है की भारत में भुखमरी के साथ साथ बच्चों में कुपोषण की समस्या भी प्रबल है। 

भारत की हालत भुखमरी के मामले में खस्ता है। साहेब पिछले चुनावों में लोक-कल्याणकारी राज्य यानि की वेलफेयर स्टेट पर लगातार सवाल खड़े करते रहे है और कहते रहे है की ये रेवड़ी कल्चर है और ये ख़त्म होनी चाहिए।  अगर एक देश में भूख की समस्या है तो उसे दूर करने के लिए सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए। जिस तरह का डाटा इस रिपोर्ट से बहार आया है वो हैरान करने वाला है की बच्चो का भविष्य अँधेरे में है और सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। 
इस रिपोर्ट को सरकार रिजेक्ट कर देगी और सरकार के सहयोगी गोदी मीडिया इस रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े करेंगे। 

 

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