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महाराष्ट्र और झारखण्ड चुनाव से पहले BJP इन दोनों राज्यों में चुनाव जीतने की व्यवस्था करने में लग गयी है। जो व्यवयस्था हरियाणा में हुई थी वैसी ही कुछ व्यवस्था झारखण्ड और महाराष्ट्र में होता हुआ दिखाई दे रहा है। चुनाव आयोग पर BJP की मदद करने और BJP के इशारे  पर काम करने का आरोप लग रहा है। झारखण्ड और महाराष्ट्र चुनाव के तारीखों की घोषणा के बाद BJP तमाम हथकंडे अपना रही है और BJP यह चुनाव किसी भी हाल में अपने हाथ से जाने नहीं देने जाना चाहती है। लोक सभा चुनाव में हार के बाद BJP की लोकप्रियता तो घटी ही पर साथ में मोदी की गारंटी भी फेल हो गयी। मोदी और शाह को तो हरियाणा चुनाव से संघ ने आउट भी कर दिया था और पूरे तौर पर RSS के नेतृत्व में हरियाणा का विधान सभा चुनाव लड़ा गया था। ऐसे में जब अब महाराष्ट्र और झारखण्ड में विधान सभा चुनाव होने है तो BJP और चुनाव आयोग मिलकर मोदी की बचाने की कोशिशों में लग गए है। चुनाव आयोग पर BJP का साथ देने के संगीन आरोप लग रहे है। 

दोनों राज्यों में चुनाव होने है और इन दोनों राज्यों के DGP यानि की डायरेक्टर जेनरल ऑफ़ पुलिस को लेकर चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार सवालों के घेरे में है। महाराष्ट्र की DGP रश्मि शुक्ला को हटाने के लिए कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा था और रश्मि शुक्ला को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटाने की मांफ की थी। कांग्रेस महाराष्ट्र के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा था की "भारतीय चुनाव आयोग को तुरन्त शुक्ला को बर्खास्त करना चाहिए ताकि ये चुनाव निष्पक्ष माहौल में सम्पन्न हो सकें"। नाना पटोले ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में "1988 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला को राज्य के डीजीपी के पद पर बने रहने और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपे जाने का मुद्दा उठाया था।

इसके जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह बात कही थी की रश्मि शुक्ला की नियुक्ति कानून द्वारा स्थापित विधि से हुआ है। उन्होंने कहा था की रश्मि शुक्ला का अपॉइंटमेंट संघ लोक सेवा आयोग यानि UPSC द्वारा हुआ है। फिर राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया था और रश्मि शुक्ल को इसके पद से हटाने से मना कर दिया था। विपक्ष ने जो आरोप रश्मि शुक्ल पर लगाए है वो आरोप बेहद संगीन है। इनपर बीजेपी का साथ देने का आरोप है और विपक्ष ने नेताओं फ़र्ज़ी मुकदमे चलाने का आरोप है, उन्हें डराने धमकाने का आरोप है। जिस DGP पर पक्षपात का आरोप है, एक खास डाल की मदद करने का आरोप है, चुनाव के समय जब ऐसे पुलिस अधिकारयों का नहीं हटाने का फैसला कर राजीव कुमार ने अब साफ़ कर दिया है की चुनाव आयोग किसके इशारे पर काम कर रहा है। 

तो वहीँ झारखण्ड के DGP अनुराग गुप्ता को हटाने के लिए चुनाव आयोग ने झारखण्ड सरकार को निर्देश दिया था और कहा था की अनुराग गुप्ता को तत्काल प्रभाव से उनकी ज़िम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाये। इसके लिए चुनाव आयोग ने झारखण्ड सरकार को शनिवार शाम 7  बजे तक का समय दिया था। ऐसा कहा जा रहा है की अनुराग गुप्ता को हटाने की मांग बीजेपी की तरफ से उठी थी और फिर चुनाव आयोग ने उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दे दिया। अनुराग गुप्ता को हटाने के पीछे का कारण बताया जा रहा है की "पिछले चुनावों में इनके खिलाफ शिकायतों का इतिहास रहा है"। 

दोनों राज्यों में चुनाव है और दोनों राज्यों के DGP के लेकर सवाल उठाये गए। आप तो समझ ही रहे होंगे की क्यों झारखंड में DGP को उनकी ज़िम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया और महाराष्ट्र में क्यों DGP को हटाने से चुनाव आयोग ने मना कर दिया है। 

दोस्तों, रश्मि शुक्ला 30 जून 2024 को रिटायर होने वाली थी। हालांकि, उन्हें अवैध रूप से जनवरी 2026 तक सर्विस एक्सटेंशन दिया गया है, जो महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम का सीधा उल्लंघन है, जिसमें यह प्रावधान है कि राज्य के डीजीपी का कार्यकाल दो साल या उनके रिटायरमेंट तक का होगा। नाना पटोले ने कहा की इस गैरकानूनी एक्सटेंशन के अलावा, रश्मि शुक्ला का अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने का इतिहास रहा है, जो उनकी निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने की क्षमता पर गंभीर सवाल उठाता है।

कांग्रेस ने अपने लेटर में लिखा है की " रश्मि शुक्ल ने बिना proper authorisation के विपक्ष के नेताओं का फ़ोन टैपिंग किया है और इस केस में शामिल अधिकारीयों को गुमराह किया है। ‘‘उनके खिलाफ कई मामले दर्ज होने के बावजूद महाराष्ट्र में सरकार बदलने और भाजपा के सत्ता में आने के बाद इन मामलों पर मिटटी डाल दिया गया"। 

कांग्रेस ने इस लेटर में आगे लिखा है की "डीजीपी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विपक्षी नेताओं को परेशान करने और धमकाने के लिए अपने पद का सक्रिय रूप से दुरुपयोग किया है, अक्सर झूठी जांच की है और उनके खिलाफ निराधार मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका की ईमानदारी और गैर-पक्षपाती प्रकृति से समझौता करते हुए भाजपा के लिए एक political campaigner के रूप में काम किया है"।

रश्मि शुकला के ACB में DG रहने के दौरान इनपर आरोप लगा है की इन्होने विपक्ष के नेताओं को परेशां करने के लिए उन्हें थाने और एंटी कर्रप्शन ब्यूरो के दफ्तर बुलाया है और अपनी शक्ति का दुरूपयोग उन्हें डरने और धमकाने के लिया किया है।

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