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महाराष्ट्र चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। महाराष्ट्र का चुनाव महायुति के जीतना लगभग नामुमकिन लग रहा है। CSDS के एक सर्वे ने BJP आलाकमान की होश उड़ा दी है। CDSD की इस सर्वे में जो सबसे अहम बात सामने आयी है वह आर्थिक स्थिरता और नौकरी के अवसरों के बारे में बढ़ते मतदाता असंतोष को दर्शाता है। माना जा रहा है कि ये मुद्दे चुनावी चर्चा में हावी रह सकते हैं। CSDS की ये रिपोर्ट देख कर BJP आलाकमान सदमे में है। CSDS की इस रिपोर्ट में महाविकाश अघाड़ी महाराष्ट्र चुनाव में महायुति से आगे निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। CSDS के सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र चुनाव में महाविकाश अघाड़ी गठबंधन लोक सभा चुनाव की तरह प्रदर्शन महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में दोहरा सकता है। 

CSDS लोकनीति के सर्वे में यह खुलाशा हुआ है की महाराष्ट्र चुनाव में महंगाई  और बेरोज़गारी दो बड़े मुद्दे है। The Hindu के रिपोर्ट के अनुशार सर्वे में 24% मतदाताओं ने बेरोजगारी को अपना प्राथमिक मुद्दा बताया है जबकि 22% ने महंगाई को बड़ा मुद्दा माना है। रिपोर्ट के अनुसार सुर्वे  में पता चला है कि विकास की कमी को 9%, कृषि संबंधी मुद्दे को 8% और बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ को 7% ने बड़ा मुद्दा माना है। 

रिपोर्ट के अनुसार जब पूछा गया कि अगले पांच सालों में महाराष्ट्र के लिए कौन सा गठबंधन बेहतर होगा, तो एमवीए को महायुति सरकार पर  बढ़त मिली है। सर्वे में इस बात पर जोर दिया गया है कि इस चुनाव में बेरोजगारी एक अहम फैक्टर हो सकती है। बेरोजगारी के बारे में चिंतित लोगों में से लगभग पांच में से तीन यानी 58% एमवीए के पक्ष में हैं, जबकि लगभग तीन में से एक यानी 31% महायुति का समर्थन करते हैं।

CSDS की सर्वे में यह बात पता चली है की चार में से तीन मतदाता यानी 74% मानते हैं कि पिछले पांच वर्षों में महंगाई बढ़ी है और लगभग आधे यानी 51% मतदाताओं ने इस पांच साल के दौरान भ्रष्टाचार में वृद्धि होने की बात कही है।

इस सर्वे में जब पूछा गया कि क्या उद्धव ठाकरे सरकार की तुलना में शिंदे सरकार के तहत भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ा है या घटा है, तो 10 में से सिर्फ़ एक यानि 11% उत्तरदाताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार के तहत भ्रष्टाचार में कमी आई है। पाँच में से दो यानि की 42% मतदाताओं का मानना ​​था कि महायुति सरकार बनने के बाद भ्रस्टाचार के मामले बढे है। 

वही सरकारी स्कूल और कॉलेज के कंडीशन को लेकर 35% लोगों में महाविकाश अघाड़ी पर भरोसा जताया तो वहीं किसानो के मुद्दों को लेकर 31% लोगों का मानना था की महाविकाश एक बेहतर ऑप्शन है जबकि 23% लोगों ने महायुति पर भरोसा जताया। 
किसानो के मामले में दोनों गठबंधनों का फर्क 8% का जो है महाराष्ट्र चुनाव में एक अहम भूमिका अदा कर सकता है। 

इस सर्वे के मुताबिक 45% उत्तरदाताओं का मानना है की राज्य का ओवरआल विकाश महाविकाश अघाड़ी ने ज्यादा बढ़िया किया है और सोशल हारमनी के मामले 41% उत्तरदाता महाविकाश अघाड़ी पर महायुति के मुकाबले जयादा भरोसा है। जब इस सर्वे में उत्तरदाताओं से पुछा की गया की राज्य में ज्यादा स्थिर सर्कार किसकी थी तो इस सवाल पर भी महाविकाश अघाड़ी महायुति से आगे है और 40% उत्तरदाताओं का मानना है की महाविकाश अघाड़ी गठबंधन में सर्कार ज्यादा स्थिर थी।

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